वृद्धावस्था में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?




हर उम्र में हमारी पोशाक आवश्यकताएं भी भिन्न भिन्न रूप में बढ़ती और घटती रहती  है ,जैसे  कुछ पोशाक आवश्यकताएं बहुत ज्यादा होती हैं तो कुछ कि हमें बहुत ना के बराबर जरूरत होती है। धीरे-धीरे हमारी बाल्यावस्था जाती है उसके बाद किशोरावस्था और फिर युवावस्था सारी अवस्थाओं के बाद जो हमारी जिंदगी की सबसे अंतिम अवस्था होती है उसको कहते हैं वृद्धा अवस्था आज मैं आपको यह बताऊंगी कि वृद्धावस्था में भी हमारी कुछ पोषक आवश्यकताएं बढ़ती हैं और कुछ घट जाती है ऐसा क्यों होता है क्योंकि हमारा शरीर बहुत सी चीजों से मिलकर बना है और शरीर के अंदर हमारे बहुत सी क्रियाएं होती हैं। हर अवस्था में यह क्रियाएं बदलती रहती है।  जब हम वृद्धावस्था में पहुंचते हैं तो हमारे शरीर के अंदर बहुत से शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते है। साथ ही साथ उस अवस्था में हमारे शरीर के अंदर बहुत सी हार्मोन संबंधी परिवर्तन होते हैं । जिसका सीधा सीधा प्रभाव हमारे खाने के पाचन क्रिया पर पड़ता है। हमारे मेटाबॉलिक रेट पर पड़ता है,  हमारी रोज होने वाली क्रियाओं पर भी पड़ता है।



किस अवस्था को हम सही बात मतलब में वृद्धावस्था कहते हैं? 70 वर्ष के बाद के अवस्था को हम" वृद्धावस्था" में लेते हैं इस अवस्था तक आते-आते हमारे शरीर में बहुत से बदलाव आ जाते हैं। युवावस्था जैसे हमारे शरीर में इतना जोश और इतनी ताकत नहीं रह जाती है हमारे अंग बहुत तेजी से काम नहीं करते, हमारी चाल बहुत धीरे होने लगती है ,और हमारे आंखों की रोशनी में भी बहुत बदलाव आ जाता है, हमारे दांत कमजोर हो जाते हैं, बहुत सी ऐसी शरीर से संबंधित छोटी छोटी तकलीफ होती है बहुत सी बीमारियां जो अनावश्यक हमारे शरीर में उत्पन्न होने लगते हैं जैसे कभी हमारा ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है तो कभी ब्लड प्रेशर लो हो जाता है छोटी छोटी बातों में अमृत फ्रेश होने लगते हैं हम बच्चे जैसी हरकतें करने लगते हैं वृद्धा अवस्था को इसीलिए हम एक शैशवावस्था या बच्चों के उस रूप से भी तुलना कर सकते हैं जिसमें बच्चा धीरे धीरे चलना शुरू करता है और उसको हम एक-एक चीज सिखाते हैं ठीक वैसे ही वृद्धावस्था में भी हमारे शरीर वैसे ही हो जाता है उनको हमारे बहुत ज्यादा सहारे की जरूरत होती है

वृद्धावस्था में होने वाला शारीरिक बदलाव
क्या होते हैं हमारे शरीर में यह बदलाव आइए मैं आपको बताती हूं मांसपेशियों में तनाव कम होने लगता है, शरीर के सक्रिय तत्व में कमी आने लगती है। थायराइड ग्रंथि की क्रियाशीलता में कमी आने लगती है जिससे हमारा आधार चयापचय दर (बेसिक मेटाबॉलिक रेट) कम हो जाता है इसलिए यदि इस समय हम कैलोरी को सीमित नहीं करते तो।


हम मोटापे को जन्म दे देते हैं और जिसकी वजह से हमें गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
वृद्धावस्था में लार का उत्पादन भी कम होने लगता है, जिससे हमारे शरीर के अंदर स्टार्स का पाचन प्रभावित होता है स्टार्स की पाचन क्रिया कम हो जाती है। वास्तविक दांत गिर जाने से अक्सर कृत्रिम दांत लगाए जाते हैं। जिससे इस अवस्था में हर तरह का खाना हम नहीं चबा पाते  है ,इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा सॉफ्ट या मुलायम खाना खाना चाहिए।



वृद्ध लोगों में आमाशय अम्ल भी घट जाता है ।जिससे विभिन्न पाचक रस की क्रियाशीलता कम हो जाती है ।पाचक रसों की क्रियाशीलता में कमी के कारण कार काबोर्हाड्रेट, प्रोटीन तथा वसा का पाचन भी बहुत प्रभावित होता है। वसाका का पाचन  अक्सर अधिक प्रभावित होता है। क्योंकि पैंक्रियास द्वारा लाइपेज पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न नहीं होता है जिससे उपयुक्त हाइड्रोलाइसिस नहीं हो पाता  जिससे वसा का पाचन प्रभावित होता है। इसलिए वृद्ध व्यक्तियों को वसा कम मात्रा में दी जानी चाहिए। प्रतिदिन हम 30 से 40 ग्राम तक वसा यानी फैट जैसे घी, तेल ,मक्खन ,चीज ,इत्यादिदे सकते।



वृद्धावस्था में मूत्र की सामान्य मात्रा उत्सर्जित होने पर डेढ़ लीटर पानी प्रतिदिन लेना अनिवार्य है फलों के रस सब्जियों के रसू ,मट्ठा आदि देकर भी हम द्रव्य पदार्थों की मात्रा संतुष्ट कर सकते हैं।
दांत गिरना तथा मसूड़े कमजोर होना आम बात होती है इसलिए कैल्शियम तथा विटामिन ए अधिक देना चाहिए विटामिन डी भी देना चाहिए क्योंकि विटामिन डी की उपस्थिति में कैल्शियम अवशोषण होता है इसके लिए हम दूध या दूध से बने पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें सब्जियां खाएं सब्जियों में हरी सब्जियां बहुत फायदेमंद रहेंगी।



इस अवस्था में ज्यादातर लोगों के दांत होते ही नहीं है ,होते हैं तो बहुत कमजोर होते हैं या फिर वह आर्टिफिशियल दांत का प्रयोग करते हैं तो हम उन्हें नरम भोज्य पदार्थ खिलाने की कोशिश करें और ऐसे खाद्य पदार्थ जिससे उन्हें कब्ज की शिकायत भी ना हो इसलिए उपयुक्त रेशे वाले पदार्थों(फाइबर्स) का उपयोग करें उनके खाने में फाइबर का प्रयोग करें ।



अगर आप इस अवस्था में किसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। तो उसके अनुसार आपके खान-पान में बहुत से बदलाव होने चाहिए ।जैसे कि अगर आपको डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है लो ब्लड प्रेशर , आर्थराइटिस या और इस तरह की बहुत सी बीमारियों में से किसी भी बीमारी से परेशान है तो उसके लिए आपका आहार  नियोजन कैसा होना चाहिए? क्योंकि हर बीमारी में खानपान में बदलाव बहुत जरुरी है। क्योंकि हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों में कहीं ना कहीं खानपान का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है ।हम अपने खानपान के जरिए उसको सही भी कर सकते हैं बड़ी से बड़ी बीमारियों से हमें राहत मिलती है ।तो अगर आप किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं और उसके लिए आपको एक अलग से आहार नियोजन की आवश्यकता है तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं
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