सही मायने में जिंदगी खुलकर जीने के लिए अपने सपनों को उड़ान देना बहुत जरूरी है : सोनिया





आज महिलायें अक्सर कहती नजर आ जाती हैं कि उन्हें दबाया जाता है उनकी पहचान उनके पति और पापा से ही है मगर ठीक उसके विपरित आज हम मिलवाने जा रहे हैं, ऐसी शख्सियत से जो खुद को तरस या दया का पात्र बिल्कुल नहीं मानती हैं, एक ऐसी शख्सियत जोकि अपने नाम पर विश्वास और पहचान पर विश्वास रखती हैं और अपनी पहचान खुद बनाने विश्वास करती है, वॉ है मॉडलिंग की दुनिया में तेजी से उभरी सोनिया से। काफी अलग विचारधारा की सोनिया से आपकी सेहत के उपसंपादक गौरव जैन से हुई बातचीत के प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख अंश :-



सोनिया जी सबसे पहले आपसे हमारा सवाल है कि आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?
मैंने अपने कैरियर की शुरूआत 12वीं कक्षा के तुरंत बाद ही कर दी थी, 12वीं के बाद मैंने सबसे  पहली स्कूल में आॅफिसियल जॉब की उसके बाद कई कम्पननियों में एडमिन बतौर काम किया। अगस्त 2018 के बाद मैंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। मिसेज इंडिया प्राइड आॅफ नेशन में फाइनल तक गयी थीं मगर कुछ हासिल नहीं कर पायी। उसके बाद जयपुर में आयोजित मिसेज इंडिया क्वीन आॅफ हार्ट के आयोजन में गयी वहां मुझे दो खिताबों से नवाजा गया पहला मिसेज इंडिया क्वीन आॅफ हार्टस ईस्ट और दूसरा मिसेज इंडिया क्वीन आॅफ हार्टस दिल्ली।




सोनिया जी आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और कब अपने जीवन का लक्ष्य तय किया?
मेरी प्राथमिक शिक्षा डीएवी स्कूल से रही है,  उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश आॅनर्स की डिग्री ली। जॉब और अच्छी सैलेरी के बावजूद लम्बा समय बिताने के बाद मुझे लगा कि जो बचपन से मेरा सपना था वो कहीं ना कहीं आज भी अधूरा है, तभी लाइफ में एक नया डिसीजन लिया और मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। साथ ही कई तरह के डांस सीखे और फैशन की दुनिया में चमकने के लिए कड़ी मेहनत की शुरूआत की।




सोनिया जी आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया और उसमें मुख्य भूमिका किसकी रही?
आज मैं जिस मुकाम पर हूँ उसे पाने के लिए मैंने अपनी नींदे छोड़ी हैं और मॉडलिंग में चमकने के लिए कड़ी मेहनत की ताकि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से फिट रहा जा सके। दूसरों की तारीफ पाने से पहले अपने आप तारीफ के काबिल बनें। यदि हम मिसेज इंडिया ब्यूटी पैजेंट की तरह के किसी भी प्लेटफार्म पर जाते तो हमें हर तरह से काबिल होना चाहिये। उस लेवल तक जाने के लिए मैंने बहुत परिश्रम किया है। रात रात भर रैम्प वॉक की प्रेक्टिस करते-करते पैरों में छालें तक पड़ जाते हैं। मॉडलिंग की दुनिया जितनी आसान लगती है उतनी है नहीं, कड़ी मेहनत और संघर्ष है यहां। यहां तक आने में मेरे कान्हाजी, मेरे ग्रुमर्स और परिवार का पूरा सहयोग रहा है। मैं यह मानती हूँ कि हमारी दृढ़ता ही सबसे बड़ी भूमिका अदा करती है हमारी सफलता में।



सोनिया जी आज आप जिस मुकाम पर हैं और आज लोग आपको जानते हैं यह देख कर आपको कैसा महसूस होता है?
आज मुझे लोग देखकर रोकते हैं पहचानते हैं सेल्फी लेने के लिए अप्रोच करते हैं, ये सब देखकर बहुत अच्छा लगता है, पता चलता है कि लाइफ में कुछ तो हासिल किया है। वैसे जो कुछ भी मिला उससे बहुत खुश हूँ मगर अभी भी कई सपने और कई मंजिले पाना बाकी है ताकि लोगों को अपना परिचय कभी खुद से न देना पडे।




आपने आज तक अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?
जिस सपने को देखा है जिसके लिए मैं इतनी मेहनत और कोशिश कर रही हूँ वो सपना मेरा अभी अधूरा है। एक बार अपनी इस जिंदगी में एक मुख्य टाइटन मैं हासिल जरूर करना चाहती हूँ एक बार मैं मिसेज इंडिया का क्राउन जीतना चाहती हूँ क्योंकि मैं जानती हूँ कि उसके बाद फैशन इंडस्ट्री में रास्ता अपने आप निकलता चला जायेगा।



आपको आपके परिवार से सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग किनसे मिला?
मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट मेरे पति और सासू माँ से मिला है क्योंकि ब्यूटी पैजेंट में जाने के लिए कई बार 5 से 6 दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ा है। मेरे पति कभी भी बाहर जाने से मना नहीं करते बल्कि सपोर्ट करते हैं और सासू माँ मेरे हसबैंड और मेरे नौ साल के बेटे की देखभाल करती हैं ताकि मैं निश्ंिचत होकर अपने काम पर फोकस कर सकूं।





आपको अभी तक कौन-कौन से सम्मानों से  सम्मानित किया जा चुका है?
सम्मानों की यदि बात की जाये तो इसकी शुरूआत बहुत साल पहले हुई जोकि काफी छोटे लेवल पर थी। वैस्टीजÞ फैशन शो में मुझे वैस्टीजÞ ब्यूटी क्वीन के क्राउन से सुशोभित किया गया था। उसके बाद पिछले साल ही मैंने इस इण्डस्ट्री में कदम रखा और मिसेज इंडिया प्राइड आॅफ नेशन में गयी, और वहां मैं फाइनेलिस्ट रही। ये इंसान की सफलता ही है की पहले राउंड से आखिर राउंड तक रहे। फिर उसके बाद जयपुर में आयोजित मिसेज इंडिया क्वीन आॅफ हार्टस के ब्यूटी पैजेंट में गयी जहां मुझे क्वीन आॅफ हार्टस ईस्ट और मिसेज इंडिया क्वीन आॅफ हाटर्स दिल्ली का खिताब मिला।



आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?
मेरी लाइफ के रोल मॉडल दो लोग हैं पहले तो मेरे पिताजी जिन्हें मैंने हमेशा स्ट्रगल और कड़ी मेहनत करते देखा है, अपने आपको भुलाकर दूसरों के लिए काम करते देखा है और दूसरे हैं श्री गौरव अग्रवाल, स्टोनेक्स इंडिया के सीएमडी हैं जिनके मातहत मैंने एक्सिक्यूटिव एसीसटेंट का जॉब की। उन्होंने 17 साल में ही कड़ी मेहनत से इतनी बड़ी कम्पनी को खड़ा किया। इन दोनों शख्सियतों से मैंने कड़ी मेहनत करना और अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना सीखा। वैसे तो मेरी पसदंदीदा एक्टर दीपिका पादुकोण हैं पर फिर भी मैं जैसी भी हूँ ठीक हूँ मैं किसी भी एक्टर को कापी नहीं करना चाहती,  मेरी पहचान अलग है और रहेगी। इस मुकाम पर भी लोग मुझे कापी करते हैं तो ये सब देखकर अच्छा लगता है।




अभी तक आपने जितनी भी कार्य किए हैं उनमें से आपके लिए सबसे बेस्ट और सबसे अच्छा कार्य और अनुभव कौन सा रहा?
जितने भी जॉब मैंने अब तक किये हैं उसमें से अगर एक को चुनना हो तो बिना सोचे हुए मैं एक को ही सबसे बेस्ट मानती हूँ जो श्री गौरव अग्रवाल जी के साथ काम करना है। उन्हीं से सीखा है कि अच्छी जॉब और अच्छी सैलेरी को ही सफलता नहीं कहते हैं असली सफलता अपने काम को खुशी खुशी करना और अपने परिवार को भी साथ में लेकर चलना है। तो उनके साथ काम करके ही मैंने अपने आपको अच्छे से जाना और ये पाया मेरा जो असली टैलेंट है वो उसी सपने में है जो मैंने बचपन से देखा है। जो कि एक मॉडलिंग की दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल करना है।



आप आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।


आने वाली पीढ़ी को मैं यही कहना चाहूंगा कि 9 टू  5 वाली जॉब में फंसकर न रह जायें, जब तक अपने सपने पूरे नहीं हो जाते जिंदगी पूरी नहीं होती है।  अपने सपनों को दबाने से आपकी दबी इच्छायें खालीपन बनकर  घुटन बन जाती हैं और  आपको अंदर ही अंदर खत्म कर देती हैं जोकि मेरे साथ भी हुआ था। जब मैं अपने सपने को पाने निकल पड़ी तभी जाकर असली खुशी मिली। मैं खास तौर पर महिलाओं को ये कहना चाहूंगा कि खुद को कोसना छोड़े और अपने आप पर तरस खाना बंद करें। अपने हक के लिए स्वयं ही खड़े हों। अपनी पहचान खुद बनायें ताकि आपको अपने पिता और अपने पति के सर नेम की जरूरत ना लगे। मैं ये नहीं कहूंगी कि सर नेम लगाना गलत है मैं बस ये कहना चाहती हूँ कि हमें अपनी खुद की पहचान बनानी है और अपने नाम के लिए जगह बनानी है। मैं खुद भी अपने नाम के आगे कोई सरनेम नहंीं लगाती हूँ तो इसके मायने ये नहीं है कि कि मैं अपने पिता और पति के नाम की इज्जत नहीं करती। इसका सीधा सा मतलब ये है कि मैं अपने आपको अपने नाम से ही सम्पूर्ण मानती हूँ। आखिर में मैं ये ही कहना चाहूंगी कि जब तक महिलायें दबेंगी उन्हें दबाया जायेगा। तो अगर खुल कर जिंदगी जीनी है तो खुद हिम्मत करके दबना छोडेÞ। जिसके लिए सबसे पहला कदम अपने आपको मानसिक तौर से स्वतंत्र छोड़ना होगा और उस स्वतंत्रता की शुरूआत उस दिन होगी जिस दिन आप मानसिक तौर से ये अपना लेंगे कि आप अपने नाम से ही संपूर्ण हैं।