समाज की बुराईयों को मिटाने के लिए तत्पर हैं मिसेज इंडिया यूके फाइनेलिस्ट रश्मि राय


हमारा भारतवर्ष यूं तो सोने की चिड़िया और सुंदरियों का देश हमेशा से रहा है और यहां से शिक्षा प्राप्त कर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं ऐसी ही एक सुंदरी रश्मि राय जोकि यूनाईटेड किंगडम में बसी और इनके दो छोटे भाई सहित परिवार में सबसे बड़ी हैं और इनके माता पिता नागपुर में रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जन्मी संस्कारों से परिपूर्ण और इनकी परवरिश और शिक्षा नागपुर में ही हुई। साथ ही नागपुर से इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग और टेलीकॉम में एमबीए पूने से किया है।





इनका 10 साल का आईटी सेक्अर में एक्सपीरिंयस रहा है रश्मि राय ने कारपोरेट जगत में तीन साल तक पीएमओ के रूप में अपना पहला कदम रखा फिर एसएपी सलाहकार के रूप में काम किया। इनके शादी निजामों के शहर हैदराबाद में रहने वाले रमेश मंथा से हुई और इनकी दो साल की नन्ही परी प्रणिका मंथा भी है जिसे ये दोनों दिलो जान से चाहते हैं। शादी के तुरंत बाद ही ये लोग यूनाईटेड किंगडम चले गयें।  3 साल तक सप्लाई चेन कंसलटेंट के रूप में काम कर रही हैं और अब चार वर्षों से अधिक समय से स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में रहते हैं।



 




रश्मि राय को डांसिंग, योगा, मेडिटेशन, फ्लोवर अरेंजिंग और ट्रेवलिंग बहुत पसंद है। ये एडिनबर्ग में प्रत्येक गुरूवार को योग और ध्यान कक्षायें भी चलाती हैं। इनकी विचारधारा आशावादी, दृढसंकल्प, अनुशासन और रचनात्मकता है। अपने आपको एक संघर्षशील विचारों से लडने वाली योद्धा मानती हैं, जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से समझ और निपटने के लिए प्रमुख नारी मूल्यों की रक्षा करती हैं। इनका मानना है कि अपने आपको रानी की तरह समझें किसी भी तरह से अपने को कम नहीं आंके। हर स्थिति का डटकर मुकाबला करें और घबरायें नहीं। इनका मानना है कि ब्यूटी अंदर से होती है, सुंदर गुणों से होती है, बाहरी सुंदरता आती-जाती रहती है अंदर की सुंदरता को बनायें। ताकि अंदर की सुंदरता से समाज को कुछ दे सकें।
रश्मि राय हाल ही में फाइनेलिस्ट हैं मिसेज इंडिया यूके की। बचपन से ही इनकी ब्यूटी कांटेस्टों में रूचि रही और इनका ये सपना अब पूरा हो रहा है। सामाजिक कार्यों में इनकी बहुत रूचि रहती हैं इन्होंने घरेलु हिंसा के खिलाफ भी कार्य किया और कई मसले हल भी करायें। लोगों को बीमारियों से दूर रखने के लिए दवाईयों के लिए पैसों से भी मदद करती हैं। भारत की सबसे बड़ी मील 'अक्षय पात्रा' फाउंडेशन के द्वारा इन्होंने पांच बच्चों की खाने पीने की जिम्मेदारी भी ली हुई हैं।