सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है : शरद कोहली


 



सफलता अपनी कहानी यूँ ही बयाँ नहीं करती है जैसे-जैसे इंसान कठिन परिश्रम करता है वैसे-वैसे सफलता की ओर निरंतर बढ़ता जाता है। इसी प्रकार एक अमिट छाप छोड़ देने वाली शख्सियत हैं शरद कोहली। हाल ही में हुये एक बहुत बड़े फैशन शौ में आपकी सेहत के वरिष्ठ संपादक तरूण कुमार से हुई? मुलाकात के दौरान लिये गये संक्षिप्त साक्षात्कार के प्रमुख अंश हम अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।

शरद जी आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?
जब मैंने बारहवीं कक्षा पास की तो उसके बाद ही कैरियर का निर्णय लिया कि मुझे चार्टर्ड एकाउंटेंसी करना है। मेरे पिता का अपना चलता हुआ बिजनेस था तो उसको भी मैंने साथ-साथ देखा, चार्टर्ड एकाउंटेंसी की पढाई और ट्रेनिंग की शुरू की। उस समय में मेरी उम्र मात्र 18 वर्ष की ही थी और बहुत जल्दी मुझे अवसर मिला अपने कैरियर के बारे में सोचने का और मेरे माता पिता का पूरा सहयोग रहा। उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया और मुझे कभी भी किसी कैरियर के मार्ग पर चलने के लिए रोका नहीं। मैं समझता हूँ कि माता-पिता का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण होता है।



शरद जी आपकी शिक्षा कहां से हुई और आपने कब जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया?
मेरी प्राथमिकता शिक्षा गाजियाबाद के होली चाइल्ड स्कूल से हुई जहां तक मैंने दसवीं तक पढाई की। उसके बाद 11-12 कक्षा केन्द्रीय विद्यालय एयरफोर्स स्टेशन हिंडन गाजियाबाद से की।  



शरद जी आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया और उसमें मुख्य भूमिका किसकी रही?
मेरी सफलता के पीछे मेरे माता-पिता और परिवारवालों का बहुत योगदान रहा, विवाह होने के बाद मेरी पत्नी और बेटी का योगदान रहा। सबसे बड़े हमारे गुरूदेव हैं उनका मार्गदर्शन रहा और उनकी मेरे ऊपर कृपा रही और मैं समझता हूँ कि किसी को भी सफलता की राह पर चलने के लिए बहुत फोकस होकर चलना पड़ता है, मन को केन्द्रित करके चलना पड़ता है, रूकावटें और मुसीबतें कई बार आती हैं, बंदिशें कई होती हैं, सबको पार करते हुए, आपके बड़ों का सहयोग हो, आपकी साथियों  और सहयोगियों का साथ हो तो मैं समझता हूँ कि तो कोई भी व्यक्ति सफलता की राह पर आगे निकलता चला जाता है।





शरद जी आज आप जिस मुकाम पर हैं और लोग आपको जानते हैं, यह देख कर आपको कैसा महसूस होता है?
मैं आज जिस मुकाम पर हूँ सारा श्रेय और ईश्वर, माता-पिता और अपने परिवारवालों को देता हूँ और मैं ये नहीं सोचता कि मैं एक सैलिब्रिटी बन गया हूँ, मैं अपने आपको साधारण ही मानता हूँ अगर मैंने कुछ पाया तो वो जो लोग मुझे पसंद करते हैं, टेलीविजन पर देखते हैं, मुझे सुनते हैं, मुझे अखबारों में पढ़ते हैं, मैं समझता हूँ कि जब कोई भी व्यक्ति बहुत मशहूर होता है तो लोगों की वजह से होता है उसमें लोगों का योगदान होता है। मशहूर तब आप होते हैं जब लोग आपको मशहूर कहें। मशहूर तब होते हैं जब स्वयं को मशहूर समझें, तो मैं उन सभी दर्शकों, पाठकों और श्रोताओं को जिन्होंने मुझे पहचाना है, मान दिया है और मुझे फोलो किया है।  मैं उन सभी का तेहदिल से आभारी हूँ। दिल से उनके लिए दुआ करता हूँ और अपने आपको साधारण व्यक्ति मानते हुए सारा का सारा श्रेय अपने चाहने वालों का देता हूँ।



शरद जी अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?
जिस मुकाम पर आज मैं पहुंचा हूँ उसको पाने के लिए वैसे मेहनत तो हर कोई करता है मैंने भी उसी प्रकार मेहनत की। आज मुझे काम करते हुए 30 साल हो गये हैं, मीडिया के साथ इन्ट्रेक्ट करते हुए मुझे करीब 3 से 4 साल हो गये हैं और मैंने कभी कोई सपना नहीं देखा, मैं कभी ड्रीम बनाकर नहीं चला कि मुझे वहां पहुंचना ही पहुंचना है। बस जैसे-जैसे जिंदगी गुजर होती गयी, तो अंग्रेजी में कहते हैं - वन डे एट ए टाइम, उसी प्रकार मैं आगे बढ़ता गया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जहां मैं आज हूँ वहां तक कभी मैं पहुंचूंगा और ना ही मैं आगे का सोचता हूँ। मैं वर्तमान में रहने वाला प्राणी हूँ, मेरा ये मानना है कि जो वर्तमान में जीता है वो भूत और भविष्य में रहने वालों से ज्यादा सुखी रहता है। इसी लिए मेरा कोई ऐसा सपना, ना ही आगे है और ना ही पीछे रहा है। मैंने जितना मैंने हासिल किया है उसके लिए मैं ईश्वर, गुरूदेव, परिवार और सहयोगियों का धन्यवाद करता हूँ।



शरद जी सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग कहाँ से मिला?
वैसे मुझे मेरे सारे परिवार से ही सपोर्ट? मिला।  विशेष तौर पर माता-पिता का योगदान रहा और विवाह पश्चात पत्नी और बच्चों का रहा।


शरद जी आपको कौन-कौन से सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है?
सम्मानों की जहां तक बात है अनेक ईवेंटस,  फ्ंक्शन अन्य जगहों पर जाता हूँ और हर जगह कुछ ना कुछ तरीके से मुझे सम्मानित किया जाता है। जिसके लिए मैं उन सभी संस्थाओं का, कम्पनियों का व गणमान्य लोगों का आभारी हूँ, उन्होंने कुछ ना कुछ सम्मान दिया है चाहे वो बेस्ट ओन्टरप्रियोनशिप अवॉर्ड हो, बेस्ट सिटीजन अवार्ड हो बहुत सारे अवॉर्ड मिले, मैं उन सम्मानों की सूची बनाकर अपने गले में नहंी टांगना चाहता हूँ। डाउन टू अर्थ अंग्रेजी में कहावत होती है उस तरह से मैं साधारण व्यक्ति बने रहना चाहता हूँ। सबसे बड़ा सम्मान होता है कि लोग आपको आदर से देखें, आपको आदर्श मानें। मैं यदि किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा हूँ, मोटिवेट का स्रोत बन रहा हूँ तो मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान यही है।


शरद जी आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?


रोल मॉडल की जहां तक बात है तो मैं सांसारिक व्यक्ति को अपना रोल मॉडल नहीं मानता। कोई भी किसी का गुरू होता है तो वो उसका मार्गदर्शक होता है। मैं को फोलो नहीं करता, मैं अपनी पहचान बनाकर रखता हूँ, ना ही किसी फिल्म स्टार की तरह बनना चाहता हूँ। फिल्मी कलाकार अपनी कला में बहुत निपुण है, अपनी-अपनी कला से लोगों का मनोरंजन करते हैं, मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे और भी ऊंचाईयों तक पहुंचे। मैं मनोरंजन की दुनिया से नहीं हूँ, मैं फैशन की दुनिया से सम्बंध रखता हूँ।





शरद जी अभी तक आपने जितनी भी कार्य किए हैं उनमें से आपके लिए सबसे बेस्ट और सबसे अच्छा कार्य और अनुभव कौन सा रहा?
देखिये मैंने अपने 30 साल के कैरियर में मैंने बहुत से कार्य किये हैं, जिस संस्था से मैं आता हूँ, के.सी.सी. ग्रुप का मैं फाउंडर हूँ उसके करीब 13 -14 वर्टिकल्स हैं और अलग-अलग कार्यों में सभी कम्पनीज लगी हुई हैं, उनमें मैं भी इनवाल्वड हूँ। तो कोई ऐसा विशेष कार्य नहीं है जो बहुत पसंद या मुझे किसी कार्य से नफरत हो। मेरी लिए बेस्ट कार्य वो है जिसमें प्रसन्नता बनी रहे, सुखी बना रहे।



शरद जी आने वाली युवा पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।
आज की युवा पीढ़ी को मैं यही संदेश देना चाहता हूँ कि जो भी काम में लगे हुये हैं, जिस भी ड्रीम में, गोल में, अपने लक्ष्य को निर्धारित करके चल रहे हैं उस पर पूरी तरह से फोकस रहे, कभी भी डांवा डोल ना हों। आपको सफलता कभी भी ओवर नाइट या रातोंरात नहीं मिलती है, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। मैं देखता हूँ कि आज की पीढी  सफलता के चक््कर में शॉर्टकट अपनाते हैं जिसमें वे नाकाम होते हैं तो दुखी ही होते हैं। पैंशेस बहुत बड़ी चीज हैं, ये नये पीढ़ी में होना चाहिये ताकि वे मेहनत करें और जीवन में अपने टारगेट तक पहुंचे बिना किसी शॉर्टकट के। विपरीत परिस्थितियों को बर्दाश्त करने की जो शक्ति होती है वो भी चाहिये वो भी नई पीढ़ी में कम है, क्योंकि विषम परिस्थितियों में अपना लक्ष्य बदल देते हैं, अपना मुकाम की दिशा बदल देते हैं। आज की पीढ़ी पुरानी वाली पीढ़ी से तेज हैं शॉर्प है, इंटेलीजेंट है मगर पैशेंस की कमी है। तीन बातों में नई पीढ़ी को समाहित करना चाहूंगा कि केन्द्रित रहें, फोकस रहे, अपने अंदर सब्र लायें और जल्दी विचलित न हों।